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Wed, Mar 27 2024

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भारतीय नौ सेना ने उतारी एक साथ 11 पनडुब्बियां

भारतीय नौसेना ने तीन दशकों में पहली बार एक साथ 11 पारंपरिक पनडुब्बियों को तैनात किया है। ये पनडुब्बियां हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी समेत सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कई ठिकानों पर तैनात हैं। यह तैनाती पिछले दो दशकों में भारतीय पनडुब्बी इतिहास के बिलकुल विपरीत है। कई दशकों से भारत ने एक समय पर इतनी बड़ी संख्या में पनडुब्बियों को तैनात नहीं किया था। भारत की इस तैयारी को चीन और पाकिस्तान के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। ये दोनों देश भारत के खिलाफ तेजी से सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। हाल के दिनों में चीन की कई जासूसी नौकाओं ने हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बनाई है।

तीन दशक में पहली बार हासिल की उपलब्धि

दिप्रिंट ने एक गुमनाम वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारी के हवाले से बताया कि एक साथ 11 पनडुब्बियों को परिचालन में शामिल करना भारतीय नौसेना के लिए मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि जब से मैं नौसेना में शामिल हुआ हूं, मैंने एक साथ इतनी बड़ी तैनाती नहीं देखी है। ऐसा मूल रूप से इसलिए हुआ क्योंकि हमारे पास परिचालन में उतनी पनडुब्बियां नहीं थीं। इसके अलावा कई पनडुब्बियां मरम्मत के दौर से गुजर रही थीं।

भारत के पास कुल 16 पारंपरिक पनडुब्बियां

भारतीय नौसेना की पनडुब्बियां आखिरी बार 90 के दशक में सबसे ज्यादा शक्तिशाली थीं। उस समय भारतीय नौसेना के पास रूसी मूल की 8 किलो क्लास पनडुब्बियां, चार एचडीडब्लू और चार फॉक्सट्रॉट पनडुब्बियां थीं। फ्रांस से खरीदी गईं स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की डिलीवरी में हुई देरी ने भी भारतीय नौसेना की ताकत को प्रभावित किया था। भारतीय नौसेना वर्तमान में 16 पारंपरिक पनडुब्बियों का संचालन करती है। इनमें पांच स्कॉर्पीन क्लास (फ्रेंच), चार एचडीडब्ल्यू (जर्मन) और सात किलो-क्लास (रूसी) शामिल हैं। एक अतिरिक्त स्कॉर्पीन क्लास अभी भी चालू किया जाना बाकी है।

भारतीय पनडुब्बियों की परिचालन क्षमता कैसे बढ़ी

2025 तक भारतीय नौसेना के बेड़े में कुल 17 पनडुब्बियां मौजूद होंगी, लेकिन यह संख्या सिर्फ कागजों में ही दिखेगी। नौसेना विशेषज्ञ के अनुसार, सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण पनडुब्बियों की परिचालन उपलब्धता होती है। भारतीय नौसेना में शामिल स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बिलकुल नई हैं। ऐसे में इनकी उपलब्धता का अनुपात बहुत अधिक है। इसके बाद जर्मन एचडीडब्ल्यू आते हैं, जो सबसे विश्वसनीय और उच्च प्रदर्शन वाले बने हुए हैं। ये पनडुब्बियां अगले 10-15 वर्षों तक हमारे साथ रहेंगी। सूत्र ने बताया कि शुरुआत में भारत के पास 10 किलो श्रेणी की पनडुब्बियां थीं, लेकिन अब केवल सात बची हैं।

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content source - nav bharat times

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